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|#लग्न_कुंडली_के_साथ_जरूरी_है_वर्ग_कुंडली| लग्नकुंडली या जन्मलग्न कुंडली से जीवन के हर एक पहलु का विचार किया जाता है।जिसका विचार कुंडली के 12भावो से होता है लेकिन जब भी किसी भी फल का विचार करना हो तब उस फल से सम्बंधित वर्ग कुंडली की जाँच जरूर करनी या करानी चाहिए क्योंकि लग्न कुंडली मुख्य कुंडली (head office) है लेकिन इसके हर एक भाव की शाखा(branch) अलग-अलग होती है।जैसे भारत में सभी राज्यो का कण्ट्रोल या राजधानी दिल्ली है यही से 75% कण्ट्रोल होता है लेकिन सभी राज्यो का अपना अलग अस्तित्व है और उनका संचालक मुख्य रूप से राज्य का मुख्यमन्त्री होता है वेसे ही जन्मकुंडली 12भावो के रूप में एक गठ है सभी वर्ग कुंडलियो का।सभी बारहवा भावो के पूर्ण और विस्तार से फल जांच के लिए वर्ग कुंडली महत्वपूर्ण होती है।। #जैसे:- जन्मकुंडली के सप्तम भाव की स्थिति से विवाह और वैवाहिक जीवन का विचार किया जाता है लेकिन इसकी मुख्य शाखा नवमांश कुंडली है यही से जन्मकुंडली के सप्तम भाव की पूरी तरह से गहराई से जानकारी मिलेगी।कहने का मतलब है आपकी जन्मकुंडली में आपका पूरा जीवन है लेकिन जीवन में पूरी तरह से क्या मिलना है,क्या नही मिलना? आदि इसकी। गहराई से जाँच लग्न कुंडली की वर्ग कुंडलियो से जरूर करनी चाहिए।। #एक_उदारहण_अनुसार:- जमीन-जायदाद सुख है या नही कब होगा? आदि इसके लिए जन्मकुंडली के चोथे भाव के स्वामी के साथ चतुर्थांश कुंडली के का अध्ययन करने या कराने से जमीन-जायदाद(property)की पूरी तरह से जानकारी मिलेगी कि जातक के जीवन में जमीन-जायदाद का सुख कितना है, कितना नही आदि।इस तरह जनकुण्डली के साथ वर्गकुण्डली का अध्ययन सही फल जाँच के लिए महत्वपूर्ण है।।
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