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||#महादशानाथ_ग्रह_और_गोचर|| कुंडली में जिस भी ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा चल रही होती है उस ग्रह का पूरी तरह से जीवन पर शुभ अशुभ प्रभाव उस समय पड़ रहा होता है जिस समय दशा चल रही होती है।जिस भी ग्रह की महादशा या अन्तर्दशस् होती है उस ग्रह की गोचर में क्या स्थिति है?? यह बात सबसे महत्वपूर्ण होती है ग्रह के फल देने में क्योंकि गोचर ग्रह की वर्तमान स्थिति बताती है कि उसकी स्थिति क्या और कैसी है। जैसे:- मेष लग्न की कुंडली में भाग्येश गुरु की महादशा चल रही हो गुरु की महादशा 16 साल की होती है और गुरु आपकी कुंडली में शुभ होकर बैठा है तो उसके फल भाग्येश और बली होने के कारण शुभ मिलेंगे लेकिन यदि वह वर्तमान गोचर में अस्त है पाप ग्रहो के प्रभाव में हो तब ऐसे शुभ फल देने वाले भाग्येश गुरु की महादशा उतने समय तक शुभ नही जायेगी या शुभ फल नही देगी जब तक की गुरु में अनुकूल और शुभ न हो जाए या पाप ग्रहो के प्रभाव में हो तो उनसे मुक्त न हो जाए और अस्त हो गया हो तो जब तक उदय न हो जाय आदि क्योंकि ग्रह वर्तमान समय में सही स्थिति में नही है लेकिन जातक के जन्म के समय ग्रह की स्थिति उत्तम थी जिस कारण से उसके फल भी उत्तम होंगे स्वाभाविक बात है। #एक_अन्य_उदाहरण_अनुसार:- वृष लग्न की कुंडली में भाग्येश और कर्मेश शनि होने से वृष लग्न के लिए अति महत्वपूर्ण ग्रह होता है शनि यदि बली और शुभ स्थिति में जन्मकुंडली में बैठा है तो निश्चित ही फल शुभ मिलेंगे लेकिन जिस समय वृष लग्न के जातक पर शनि की महादशा या अन्तर्दशा आ जाए और उस समय शनि कुछ समय तक या जितने भी समय तक अस्त, पीड़ित या अशुभ प्रभाव में रहेगा तब तक ऐसे शनि की दशा शुभ होने पर भी शुभ फल नही देगी इसके विपरीत शनि की महादशा या अन्तर्दशा आ जाए उस समय शनि का गोचर भी जातक के लिए शुभ चल रहा हो या हो तब सोने पर सुहागा जैसे शुभ फल मिलेंगे इस कारण जब #दशा_गोचर दोनों शुभ होते है तब ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा बेहद शुभ परिणाम देगी और गोचर अशुभ होने पर दशानाथ ग्रह भी शुभ होने पर शुभ परिणाम नही दे पाता है।देखा होता जातक के जीवन में सब कुछ सही चल रहा होता लेकिन 5 से 6 महीने समय ऐसा होता कि कष्टकारी जाता है जबकि महादशा अन्तर्दशा नाथ शुभ होता इसका कारण होता है गोचर में दशा नाथ ग्रह का अशुभ हो जाना।इस तरह से गोचर और ग्रह दशा दोनों के आधार पर पूरी तरह से फल फलित होते है।
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