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|#अस्त_ग्रह_कब_शुभ_फल_दे_सकता_है|? अस्त ग्रह नाम से ही स्पष्ट है जो छुप गया हो।जब कोई ग्रह अंशो में सूर्य के बहुत नजदीक आ जाता है तब वह अस्त हो जाता है और अस्त ग्रह अपने शुभ फल देने में सक्षम नही होता साथ ही जातक को दिक्कत परेशानिया देता है क्योंकि अस्त ग्रह अपने शुभ फल देने की क्षमता को खो देता है लेकिन ग्रह अस्त होने के बाद भी अनुकूल और शुभ फल दे सकता है शुभ और अनुकूल होने पर।क्योंकि कभी भी ग्रह की फल देने की स्थिति लग्न कुंडली से नही आकि जाती है।जो भी ग्रह कुंडली में अस्त होता है यदि वह नवमांश कुंडली में सूर्य से 3भाव या 3भाव से ज्यादा दूर है तब अस्त होने पर भी कोई अस्त होने का अशुभ फल नही देगा क्योंकि ऐसी स्थिति में ग्रह को अस्त दोष नही लगता।सबसे ज्यादा बढ़िया तब होता है जब यह स्थिति हो जिस भी भाव का स्वामी अस्त हुआ है उस भाव का स्वामी अपने भाव से सम्बंधित वर्ग कुंडली में सूर्य से काफी दूर हो कम से कम 3भाव दूर या इससे ज्यादा दूर हो यदि ऐसी स्थिति अस्त ग्रह की बनती है तब वह कोई अशुभ फल नही देगा।। #उदाहरण_अनुसार:- जन्मकुंडली में दशम भाव का स्वामी अस्त हो गया हो तो यह अपने अस्त होने की स्थिति अनुसार नकारात्मक फल में वृद्धि करेगा लेकिन दशम भाव की वर्ग कुंडली जो की #दशमांश_कुंडली है यदि इस दशमांश में दशमेश सूर्य से काफी दूर है है लगभग 3भाव या इससे ज्यादा दूर है तब दशमेश को अस्त दोष नही लगेगा।। #मेष_लग्न की कुंडली में दशमेश शनि होता है यदि यह अस्त हो गया हो लेकिन यही शनि इस मेष लग्न की दशमांश कुंडली में सूर्य से लगभग 4भाव या इससे ज्यादा भाव की दुरी पर हो तब यह लग्न कुंडली मजे दशमेश होने के अनुकूल फल देगा क्योंकि भाव का स्वामी अपने भाव संबंधी वर्ग कुंडली में अस्त होने से बच रहा है।इस तरह से लग्न कुंडली में दिखने वाला अस्त ग्रह भी यदि अपने भाव से सम्बंधित वर्ग कुंडली में सूर्य से लगभग 4 भाव या इससे ज्यादा की दूरी पर है तो वह अपने अनुकूल फल देने में सक्षम होगा और शुभ फल देगा। नोट-ऐसा ग्रह किसी तरह के अशुभ योग या पीड़ित नही होना चाहिए।
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