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कई छेत्रों में सफलता। कुंडली में ऐसे योग होते है जो जातक को कई छेत्रों में सफलता दे जाते है जैसे कई लोग कला के छेत्र में होते है जैसे फ़िल्म, टीवी सीरियल, गायक भी होते है आदि राजनीती आदि में भी सफल हो जाते है या व्यवसाय करने पर कई तरह के व्यवसाय करते है और कई छेत्रों में सफल होते है जिसे कहते किस्मत ऐसे व्यक्तियो की दासी है।। जो लोग जीवन में कई छेत्रों में सफलता को पाते है उनकी कुण्डलों में लग्नेश सहित नवमेश और दशमेश पंचमेश की स्थिति बहुत बढ़िया होती है और यह सभी भावेश आपस सम्बन्ध बनाए होते है जिसे राजयोग बोलते है क्योंकि राजयोग एक ऐसा योग है जो जातक को सफल बनाता ही है जब तक कुंडली में राजयोग न हो बहुत बढ़िया सफलता नही मिल सकती।दशमेश(कार्यछेत्र) नवमेश पंचमेश सप्तमेश लाभेश आदि सफलता देने वाले भावेशों के बली होने से जातक को अच्छी नोकरी या सामान्य अच्छा व्यवसाय मिल जाता है जिससे जातक अपना जीवन आर्थिक और भौतिक रूप से सुख से व्ययतीत कर सकता है लेकिन जब नवमेश(नवे भाव का स्वामी) दशमेश(दसवे भाव का स्वामी) पंचमेश(पाँचवे भाव का स्वामी)लाभेश(ग्यारहवे भाव का स्वामी) धनेश(दूसरे भाव का स्वामी)+लग्नेश(लग्न का स्वामी) जब यही 3 से 4 या ज्यादा भावेश आपस में सम्बन्ध बनाते है विशेष रूप से नवमेश दशमेश का सम्बन्ध सफलताओ के लिए होना जरूरी है क्योंकि दशमेश कार्य छेत्र है और नवमेश भाग्य है जब इस तरह के योग और सम्बन्ध बनते है जब किस्मत जातक की दासी होती है और ऐसे जातक जीवन में नाम, इज्जत, कई छेत्रो में व्यवसायी और अन्य तरह से सफल रहता है।। #उदाहरण_अनुसार:- कन्या लग्न की कुंडली में लग्नेश दशमेश बुध, भाग्येश धनेश शुक्र, सप्तमेश चतुर्थेश गुरु, और पंचमेश होकर शनि का इन ग्रहो के बीच आपसी शुभ और बली केंद्र त्रिकोण भाव में सम्बन्ध जातक को कई छेत्रों में सफलता निश्चित रूप से देगा क्योंकि यह एक दमदार राजयोग होगा इस तरह जीवन में जो कई छेत्रो में सफलताएं मिलती है वह निर्भर करती है कुंडली में बनने वाले राजयोग और ग्रहो के आपसी सम्बन्ध इसलिए ग्रहो के बीच शुभ सम्बन्ध ऐसी सफलताएं देता है।
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