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||#व्यापार_में_सफलता_और_उन्नति|| जातक व्यापार में सफल होगा या नही, उन्नति मिलेगी या नही, व्यापार में भविष्य है या किसी अन्य छेत्र में यह सब निर्भर करता है जातक की कुंडली में।व्यापार एक ऐसा छेत्र है जहाँ धन बहुत अच्छी मात्रा में कमाया जा सकता है तो नोकरी एक ऐसा छेत्र है जिसमे निश्चित आय आती है।। व्यापार या व्यवसाय में भविष्य होने के लिए सबसे पहले महत्वपूर्ण है व्यापार सम्बन्धी भाव,भावेश और ग्रहो का बली होकर आपस में सम्बन्ध बनाना जिसमे दशमेश-दशम भाव(कार्य छेत्र, व्यवसाय,नोकरी का है), सप्तमेश-सप्तम भाव(व्यापार का भाव है)द्वितीयेश-दूसरे भाव (धन का भाव है जो की व्यापार में महत्वपूर्ण है)इसके आलावा लाभेश-लाभ भाव(ग्यारहवे भाव का स्वामी+ग्यारहवा भाव) ग्रहो में बुध जो कि व्यापार का मुख्य कारक है+सूर्य गुरु शनि इन चार ग्रहो का मुख्य रूप से बली और व्यापार से सम्बन्ध होना साथ ही ऊपर लिखे भावो के स्वामियों का आपस में सम्बन्ध होना जरूरी है जो व्यापार में अच्छी सफलता देते है और जातक एक अच्छा और सफल व्यवसायी(businessman) बन जाता है।यहां व्यापार में दशमेश सप्तमेश द्वितीयेश लाभेश इनका आपस में सम्बन्ध होना इस कारण से जरूरी है क्योंकि दशम भाव या इसका स्वामी खुद कार्य छेत्र है जो भी कार्य जातक करता है,सप्तम भाव व्यापार है, दूसरा भाव भावेश धन का है जो व्यापार में लगाने और कमाने के लिए जरूरी है साथ ही ग्यारहवा भाव और भावेश यह व्यापार में हर तरह के लाभ और आय कितनी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में होगी और व्यापार उन्नति करेगा यह इस भाव और भावेश के स्वामी पर निर्भर करता है इस कारण से इन सभी भावेशों का आपसी सम्बन्ध+सूर्य गुरु शनि और बुध का बलवान महवत्पूर्ण रूप से बलवान होना व्यापार में बहुत बढ़िया सफलता और अच्छा भविष्य बनता है।जितने ज्यादा राजयोग कुंडली में बनेंगे उतने ही आसान कामयाबी के रास्ते व्यापार में मिलते चले जाते है क्योंकि राजयोग धन, नाम, इज्जत सामाजिक रूप से अच्छा स्तर,सफलता आदि देता है।। #उदाहरण_अनुसार:- कुम्भ लग्न कुंडली में लग्नेश शनि बनता है साथ ही व्यापार में सहायक भावो में यहां दूसरेभाव(धन) और ग्यारहवे भाव(लाभ) का स्वामी खुद गुरु होता है, सप्तम भाव व्यापार का स्वामी सूर्य होता है, दशमेश मंगल बनता है ऐसी स्थिति में इन सभी गुरु सूर्य शनि के बीच सम्बन्ध साथ ही बुध शुक्र का भी सम्बन्ध बन जाने से जातक पक्का और बड़े स्तर का व्यवसायी(businessman)बनेगा क्योंकि यह सब ग्रह योग आपस में मिलकर व्यापार योग बनाकर जातक को सफल बनाएंगे।। इस तरह से उपरोक्त उदाहरण अनुसार और व्यापार में सफलता के ग्रह योगो के होने से व्यापार के छेत्र में सफलता मिलती है।नोकरी के छेत्र में इन्हें सफलता नही मिलती।
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